Friday 7 November 2014

भैंस की आँख!!

ब्रेकिंग न्यूज़: 6 नवेंबर 2014, एक भैंस सूरत हवाई अड्डे पर हवाई जहाज़ से टकरा गई..!!











By Pawan Tyagi

Tuesday 20 November 2012

ताज़ा मैंगो मैन, माज़ा मैंगो मैन । Mango Man

मैंगो मैन एक ऐसा प्राणी .. जो मैंगो की ही तरह चूसने के काम आता है । भारतवर्ष में ये बहुतायत से मिलता है । इसके कई प्रकार होते हैं । और बाहर से ये नर्म तथा अंदर से सख़्त होता है । पांच वर्ष के अंतराल में एक ऐसा समय आता है जब यह चुनाव करता है की अगले पांच वर्ष तक कौन इसको चूसेगा । अमूमन मैंगो मैन कोई अड्वेंचर पसंद नहीं करता और वो बस अपने टोकरीनुमा घर से जूसर-नुमा ऑफीस और जूसर-नुमा ऑफीस से टोकरीनुमा घर तक आता जाता है ।

 

इसे पहचानना थोड़ा कठिन है । क्यूंकि सुपरमैन, बैटमैन की तरह यह पतलून के उपर चड्डी नहीं पहनता । यह चड्डी, पतलून के अंदर ही पहनता है क्यूंकी उसके फटे होने के काफ़ी चान्स होते हैं । बस ये समझ लो की जो चूसा जा रहा है वो मैंगो मैन । अलबत्ता जब इसे चूसा जा रहा होता है तो कोई इसका MMS नहीं बनाता । (MMS तो नेताओं का बनता है, और फिर हाई कोर्ट उसपर प्रतिबंध भी लगा देता है ) जैसे एक ही तरह के सुपरमैन, बैटमैन होते हैं । ये मैंगो मैन एक ही तरह का नहीं होता । अलग अलग तरह का होता है । अलग अलग आकार प्रकार और टेस्ट का होता है । अब देखिये जनाब एक होता है हिन्दुस्तानी मैंगो मैन, एक इंडियन मैंगो मैन, और एक भारतीय मैंगो मैन भी होता है ।

हिन्दुस्तानी मैंगो मैन मानता है की वो हिन्दुस्तान में रहता है और सुबह ब्रह्म महूर्त में उठ जाता है । लोटा लेकर सुबह जंगल, मैदान की खोज करता है( ध्यान दें की आजकल जंगल मैदान खोजना कोलम्बस के अमेरिका खोजने से ज्यादा कठिन है ), वही लोटा लेकर फिर स्नान ध्यान पूजा करता है । हर जीव में आत्मा देखता है, चीटियों को आटा खिलाता है । गीता के उपदेश पढता है, और अधर्म के विरुद्ध युद्ध करने की मंशा रखता है । इंडियन मैंगो मैन इसे भगवा आतंकवादी समझता है । इंडियन मैंगो मैन, इंडिया को अमेरिका बनते देखना चाहता है । इसे धर्म और रिलिजन के बीच का फ़र्क़ नहीं पता, पानी को वाथर बोलना पसंद करता है, कार को खार । उसे बीफ सैंडविच से गाय के माँस की गंध नहीं, अमेरिका की खुश्बू आती है । वह बीच पर बिकनी पहने धूप में लेटी युवतियाँ देखना चाहता है । वह चाहता है की उसे अपनी प्रेयसी के साथ कहीं भी चुंबन लेने की आज़ादी हो । आसानी से ठंडी बियर मिला करे और उसे सड़क पर पीते हुए पांडु पुलिसिया डंडा ना करे । और ऐसा ना होने के चान्स देख वह अमेरिका, ब्रिटेन या कनाडा निकल लेना चाहता है । अब इनके बीच में ही फंसा हुआ है भारतीय मैंगो मैन । यह भारतीय मैंगो मैन अँग्रेज़ी जानता तो है लेकिन कार को खार नहीं बोलता । पिज़्ज़ा से ज़्यादा, पराठा पसंद करता है । गर्मी की शादी में कोट पैन्ट्स पहने दूल्हे को देखता है तो "च" से कोई संज्ञा फटाफट दे देता है । चाहता है की भारतीय लड़की चाहे कुछ भी पहने लेकिन अपने शरीर की नुमाइश से लोगों को लुभाना छोड़ खुद में गुण विकसित करे और अपनी पहचान अपने गुणो के आधार पर बनाये । अपनी छोटी होती चोली को अपने गुणो का विकास ना समझे । ये तो रहे कुछ मैंगो मैन के प्रकार । अब मैंगो मैन इससे ज़्यादा प्रकार के हैं या नहीं ये तो मुझे मालूम नहीं लेकिन एक प्रजाति ऐसी है जो नित नये मैंगो मैन की खोज में लगी हुई है ।

एक बहुत ही मोटी खाल वाली, प्रजाति इस देश में पाई जाती है । खाल मोटी, तशरीफ़ चौड़ी, डर्टी पॉलिटीशियन माली । यह पॉलिटीशियन माली भी कमाल का प्राणी है । यह तरह तरह के मैंगो मैन छांट कर अलग अलग डिब्बों में पैक करना जानता है । इसने दलित मैंगो मैन, सामान्य मैंगो मैन, ऑबीसी मैंगो मैन जैसी खोज की हैं । फिर हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई मैंगो मैन तो हैं ही । खोजी प्रवृत्ति का प्राणी है । किसी भी किस्म के मैंगो मैन ज्यादा हो जाये तो यह अपनी खोज प्रारंभ कर देता है । जैसे सामान्य हिन्दू मैंगो मॅन ज़्यादा हो गये तो उनमें से सेक्युलर और नॉन सेक्युलर हिन्दू मैंगो मैन खोज लो । अलग अलग डब्बों में पैक कर दो । एक डब्बे के रेट बढ़ा दो, दूसरे के घटा दो । इंटरनेट पर हिन्दू मैंगो मैन ज़्यादा बोलने लगे तो उनके लिये एक नया डब्बा तैयार कर दो और नाम दे दो इंटरनेट हिंदू । इनके रेट गिरा दो ताकि कोई और इंटरनेट हिन्दू मैंगो मैन ना पैदा हों । मैंगो मैन आन्दोलन करने लगे के जी हम अपना जूस नहीं निकलवाएंगे तो उन्हे अन्ना मैंगो मैन और केजरीवाल मैंगो मैन का लेबल लगा कर अलग अलग डिब्बों में पैक करो । एक एक डिब्बे को अलग से हेंडल करना आसान है ।

डर्टी पॉलिटीशियन माली इस बात का भी पूरा खयाल रखता है की मार्केट में अलग अलग मैंगो मैन के रेट कैसे कंट्रोल करें । जैसे केजरीवाल ब्रांड मैंगो मैन के रेट बढ गये तो लोगों से कहो की केजरीवाल ब्रांड मैंगो मैन, नक्सल किस्म का है, इसकी पैदावार भी ज़्यादा नही हो रही, इससे अच्छा तो अन्ना मैंगो मैन है । केजरीवाल वर्सस अन्ना कर दो, डिवाइड एंड रूल ! असल बात तो यह है की मैंगो मैन चाहे जो भी हो, जब तक उसका जूस ना निकले .. वो किस काम का ? अब केजरीवाल ब्रांड मैंगो मैन का जूस ना निकले तो उसे क्यूं उगाये ? अन्ना ब्रांड मैंगो मैन में जूस निकालने के चांस फिर भी बेहतर हैं ।

 मैंगो मैन का जूस निकलना बहुत ज़रूरी है । इसी जूस को पी कर डर्टी पॉलिटीशियन और इंपोर्टेड ब्यूरोकरेट अपनी तशरीफ़ का साइज़ दिन दुगना और रात चोगुना कर रहे हैं । तशरीफ़ चौड़ी होती है तो कुर्सी छोटी पड़ती है । कुर्सी छोटी पड़ती है तो बड़ी कुर्सी मिलती है । सरप्लस में जूस हो तो थोड़ा मैंगो मैन जूस टेटरा पैक में पैक करवा कर स्विट्ज़र्लॅंड एक्सपोर्ट कर दो । टी वी पर एड देखेंगे तो समझ आयेगा की मैंगो मैन का जूस मिल जाये तो दरोगा सब काम छोड़ भैंस ढूंढने निकल पड़ता है ।  भाँती भाँती के उद्योग भी मैंगो मैन के जूस से ही चल रहे हैं । इधर पॉलिटीशियन माली ने मैंगो मैन, जूस निकालने के लिये तैयार किये.. उधर उद्योगपति ने जूस निकलने की प्रणाली तैयार की हुई है.. नतीजा ये .. के अब तो मैंगो मैन का जूस पूरे साल निकले है ।

इधर केजरीवाल ब्रांड मैंगो मैन में जूस ख़तम और गुठली बढ़ती जा रही है । गुठली है तो डर्टी पॉलिटीशियन माली और इंपोर्टेड ब्यूरोकरेट के गले से नीचे नहीं उतर पाती, अटक अटक जाती है. किसी तरह गले से उतार भी ले, तो कहीं और जाके अटक जाती है. कुल मिला के हाज़मा खराब है । उधर बाकी मैंगो मान अपने अपने डिब्बे से बाहर झाँकने को तैयार नहीं. कुछ ने आम सूत्र नहीं पढ़ा, कुछ बेचारे पढ़ ही नहीं सकते. कुछ को जूस निकलवाने से फ़ुर्सत नहीं । टोकरी से जूसर और जूसर से टोकरी आने जाने में इधर उधर देखने का वक़्त ही कहाँ मिलता है ।

लेकिन भैया गुठली मोटी करना ज़रूरी है. रसीले मैंगो मैन बनने से कुछ नहीं होगा.. गुठली कहीं अटके ना अटके ... मोटी गुठली ज़मीन में दबे तो भी नया पेड़ उगता है ! सूखी गुठली सड जाती है !
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Tuesday 30 October 2012

नेताजी अस्त्र !

आजकल लोगों का हाज़मा बड़ा ही ज़बर्दस्त हो गया है | एक ही इंसान ना जाने क्या-क्या खा जाता है, डकार लेता भी हो तो सुनाई नहीं देती | सुनाई देती भी हो तो उसपर ऐतराज़ करने वाला कोई नहीं | सोचकर ताज्जुब होता है की लोग इतना कैसे खा सकते हैं |

हमसे तो 5 रोटी से ज़्यादा ना खाई जाती | सामने एक से ज़्यादा सब्ज़ियाँ परोस दी जियें तो कन्फ्यूज़न में आ जाते हैं, किसे खायें ? सुना है नेता लोग 7000 की थाली खाते हैं | वैसे थाली तो कोई खा नहीं सकता है सिर्फ़ उसमें परोसा खाना ही खा सकते हैं | लेकिन जनाब नेता वो चीज़ है जो कुछ भी खा जाता है | बाँध खा जाता है, कोयला खा जाता है, और कमाल है जी आजकल तो ज़मीन भी खा जाता है | थाली की तो औकात ही क्या !

लोग कहते हैं की हमारी टेक्नालजी इतनी अच्छी नहीं | अमेरिका को देखो, इंग्लेंड को देखो... उनके टेंक, उनकी बंदूकें, उनके लड़ाकू विमान | अजी क्या औकात इन सब चीज़ों की, इन्‍हें तो एक नेता ही खा जाये | डकार भी ना ले | ज़रा एक नेता तो गिराओ शत्रु देश पर .. उसको समूचा ना खा जाये तो कहना | ट्राइड एंड टेस्टेड टेक्नालजी, फुल्ली मेड इन इंडिया | पता नहीं हमारे यहाँ के नेताओं का टॅलेंट एक हथियार के रूप में कब इस्तेमाल होगा? न्यूक्लियर वेपन और केमिकल वेपन के बाद सारी दुनिया में पोलिटिकल वेपन के तौर पर हमारे नेता धमाका ना कर दें तो कहना |

मीडियम रेंज के लिये कलमाड़ी अस्त्र, कनिमोझी अस्त्र और मॅग्ज़िमम रेंज के लिये मनमोहन अस्त्र | ज़रा शोध तो शुरु हो | पता नहीं ऐसे कितने अस्त्र सामने आयेंगे | अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में इनकी कीमत का अंदाज़ा लगाना ही नामुमकिन है | 5 साल की लीज़ पर चाहे जिस देश को दे दो |

आजकल एक नया अस्त्र सामने आ रहा है | सरकारी नहीं है लेकिन प्राइवेट्ली डेवेलप किया हुआ है | कोडेनेम है, जीजाजी अस्त्र - अत्यंत गोपनीय - लेकिन क्या कमाल करता है जी, ये तो ज़मीन भी खा जाता है |

आशा करता हूँ की हमारा देश, नेताओं के टॅलेंट को पहचानेगा और नित नये सामने आने वाले नेता रूपी अस्त्रों का उपयोग शत्रु राष्ट्रों पर कर अपनी अद्वितीय शक्ति का परिचय देगा |

माताजी अस्त्र के सफल परीक्षण की प्रतीक्षा में |

सिन्सियर्ली यूअर्स
Pawan Tyagi

शॅम्पू खाएं सेहत बनाएं

हाल ही में वाइरल बुखार और डेंगू का दौर चला | चला क्या साहब .. चल रहा है | ग्लोबलाइज़ेशन के ज़माने में सभी देश आपस में अपने अपने बेहतरीन वाइरस और बेक्टेरिया का आदान प्रदान कर रहे हैं| और फिर हमारा महान भारत देश तो देश दुनिया की हर चीज़ का स्वागत करता है, देशी हो या विदेशी | सबको खुद में समा कर अपना ही हिस्सा बना लेता है | इतिहास में देखिए अंग्रेज़ यहाँ एक बार क्या आए,बस यहीं के हो कर रह गये | दूसरी तरफ बहूरानी ऑफ इंडिया को देखिए, जी हाँ मैं सोनिया गाँधी जी की ही बात कर रहा हूँ, इटली से एक बार यहाँ आई तो भारत देश ने देश चलाने की चाबी उनके हाथों में दे कर कह दिया की चलाओ जी | हमारे देश में कहा जाता है की अतिथिदेवो भवः ! और देवों के हाथों में तो ये देश शुरु से ही रहा है | भारतवर्ष तो देवभूमि है जी | हाँ तो मैं वाइरल बुखार की बात कर रहा था जनाब, और बात डेंगू की भी कर रहा था लेकिन विषय से भटक गया |
दिल्ली में रहते हुए देखता हूँ की हर साल हम पहले से ज़्यादा डेंगू के केस पाने के अपने लक्ष्य में सफल होते रहे हैं | बात मच्छर पालने की हो तो टेक्नालजी दिल्ली से लें | यहाँ जनसाधारण से लेकर म्यूनिसिपॅलिटी डिपार्टमेंट और दिल्ली जल बोर्ड, सभी बढ चढ कर इसमें हिस्सा ले रहे हैं, मच्छर पालने के नित नये रेकॉर्ड बनाए जा रहे हैं | यहाँ तक की हॉस्पिटल वाले भी मच्छर पाल रहे हैं ताकि इस प्रजाति के मच्छर को आने वेल समय के स्टूडेंट आसानी से स्टडी कर पायें | आख़िर भारत को डेंगू  स्पेशलिस्ट देश बनना है के नहीं बनना? अपने एरिया की बात कहूँ तो आजकल दिल्ली जल बोर्ड के पानी में भही मच्छर के लार्वा मिल जाते हैं, की लो जी जनमानस, उत्तम क्वालिटी के मच्छर हम घर पर ही सप्लाइ किये दे रहे हैं | फ्री होम डेलिवरी का ज़माना जो है |

लो फिर विषय से भटक गया.. क्या करें साहब टीवी पर नेताओं को चर्चा के विषय से भटकते इतना देखता हूँ की खुद भी यही आदत होती जा रही है | जवाब मांगा जा रहा होता है कानूं मंत्री श्री सलमान खुर्शीद के ट्रस्ट में धाँधली और नक़ली दस्तखत का और विषय भटक जाता है, बात होने लगती है की क्या ऐसे सवाल करना जायज़ है? वैसे भी हमने यही सीखा है की बड़ों से छोटे सवाल नही किया करते | भारतीय संस्कृति है जी, सम्मान करो | बड़े बड़े नेताओं से छोटे मोटे आम आदमियों को सवाल करना नही बनता.. क्यूं करते हो? अपनी संस्कृति भूल गये?

खैर हम तो नेता हैं नहीं की कार्यक्रम खतम हो जाये और विषय गुम हो जाये इसलिये विषय पर वापस कहता हूँ की जनाब मुझे भी वाइरल बुखार हो गया और ज़्यादा दिन साथ दे गया तो कमज़ोर मेहसूस करने लगा | अब सोचा कि प्रोटीन, विटामिन और मिनरल की मात्रा भोजन में बढानी चाहिये | खयाल आया ही था की ये भी खयाल आया की मुझ शाकाहारी प्राणी के लिये प्रोटीन का स्त्रोत तो दूध और दालें है | दोनो ही अत्यंत मर्हॅंगी वस्तुएं हैं और दूध में युरिया तथा दाल में इनसेक्टिसाइड्स और हानिकारक केमिकल्स होते हैं| विटामिन और मिनरल के लिये क्या करूं? हरी सब्ज़ियों और फलों का भी यही हाल है| ... तभी मेरे मन मस्तिष्क में शॅम्पू का एड् जैसे गूँज गया.. प्रोटीन विटामिन और मिनरल .. सभी तो हैं उसमें .. और कोई मिलावट भी नही|



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